खंड- खंड झारखण्ड आज की राजनातिक दशा देख कर तो यही लगता है , कभी पूरा संथालपरगना जिसके कदमो में सर झुकता था आज वही व्यक्ति लाचार , परेशान सा अपनी बची हुई जिंदगी मैं राजनैतिक भविष्य तलाश रहा है . जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ शिबू सोरेन की तीन बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने मार्च २००५ में १० दिनों में चले गए ,अगस्त २००८ में फिर ६ महीने के लिए गद्दी पर आसीन हुए मगर तमाड़ उपचुनाव में राजनीति के नौसीखिया राजा पीटर के हाथो बुरी तरह पराजय के बाद बड़ी बेआबरू हो कर गद्दी छोडनी पड़ी , और झारखण्ड राष्ट्रपति शासन में चला गया ,मगर शिबू सोरेन का मुख्यमंत्री की गद्दी का मोह कम नहीं हुआ और फिर एक बार दिसम्बर २००९ से मई २०१० तक गद्दी पर बैठे . और आज झारखण्ड फिर राष्ट्रपति शासन की चपेट में है . आखिर क्यों ? क्या सिर्फ कुर्सी के लिए झारखण्ड को राजनीति की प्रयोगशाला बनाना यहाँ की साढ़े तीन करोड़ जनता के साथ अन्याय नहीं है ? याद कीजिए ६० -७० के दशक के उस शिबू सोरेन को जिसके एक आवाज़ से संथालपरगना के आदिवासी उठते थे और बैठ जातें थे, सूदखोर और महाजन लोग जिसकी एक हूंकार से कांप उठते थे , जिसको देवता के तरह पूजा जाता था , देवदूत कहा जाता था , जिस गाँव से शिबू सोरेन गुजर जातें थे वहां शराब की भट्टियाँ बंद हो जाती थी . लोगो को यह आशा थी की जब झारखण्ड राज्य बनेगा तब शिबू सोरेन इस राज्य की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल देंगे . मगर उसी शिबू सोरेन ने कुर्सी के लिए झारखण्ड की जनता को धोखा दे दिया आज राज्य की राजनेतिक अस्थिरता के लिए सिर्फ और सिर्फ शिबू सोरेन और उनकी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा जिम्मेवार है . एक राज्य का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा की गठन के १० सालो के अन्दर ७ राज्यपाल और सात बार मुख्यमंत्री बदल गए. गरीबो को खाना नहीं मिल रहा है , लोग गरीबी और भूख से मर रहे हैं गरीबो के पास सर छुपाने कों छत नहीं है गरीब की बेटियों की शादियाँ रुकी हुई है केओंकी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ठप्प पड़ी है , और ये नेता बजाये गरीब जनता के बारे में सोचने के वातानुकूलित कमरों में मजमा लगा कर अपनी कुर्सी बचाने की जुगत लगा रहें हैं . झारखण्ड , उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ इन तीनो राज्यों का गठन एक ही दिन १५ नवम्बर २००० को हुआ मगर झारखण्ड लगातार विकास के पायदान पर नीचे फिसलता चला गया वही दोनों राज्य बहुत आगे चले गएँ हैं . तो क्या झारखण्ड की अवधारणा विफल हो चुकी है ? किसी भी राज्य के विकास के लिए प्रभावी शासन तंत्र होना बहुत ज़रूरी है राजनीतिक अस्थिरता के कारण गवेर्नेस प्रभावित होता है , सोचिये झारखण्ड की क्या गति है की यहाँ शासन तंत्र मौजूद ही नहीं है . जबकि इसके साथ बने दोनों राज्यों में स्थिति झारखण्ड के मुकाबले कहीं बेहतर है .बाबूलाल मरांडी के बाद देखें तो हर सरकार ने इस राज्य को दुधारू गाय की तरह दुहा . सरकार के मंत्री और नौकरशाह अमीर होते गए और जनता लुटती गयी . आज झारखण्ड में सडकें नहीं हैं , शिक्षा की सुविधा नहीं है , हर तरह के खनिज और प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर यर राज्य चंद स्वार्थी नेताओं की वज़ह से अपनी बदहाली पर सिसक रहा है . आखिर झारखण्ड में सुशासन के मायने क्या हैं समाज नहीं आता . एक इंस्पेक्टर रेंक का अधिकारी सी. एम्. को सीधे काम के लिए बोलता है , यह संकेत है इस बात का की झारखण्ड में राजनीति का स्तर किस कदर गिर चुका है .किसी पद की कोई गरिमा नहीं रह गयी है , बस एक प्रतिस्पर्धा सी चल पड़ी है की कौन कितना अधिक लूट सकता है , जनता गयी भाड़ में . आज मधु कोड़ा पर दिन पर दिन नए- नए आरोप लग रहें हैं , जांच हो रही है , क्यों नहीं कोई अर्जुन मुंडा पर जांच की बात करता , जिनकी सरकार में न जाने क्या -क्या नहीं हुआ , कांग्रेस ने कहा था की चुनाव के बाद झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्रीओं की संपत्तियों की जांच करवा कर दोषी लोगो को को जेल भेजा जायगा , तो क्या सिर्फ मधु कोड़ा ही कमज़ोर है ? मैंने मधु कोड़ा को देखा है एक इमानदार आदमी को को पहले बेईमान बनाया गया फिर चोर और फिर जेल में डाल दिया .क्या गलती थी उस आदमी की की उसने एक पार्टी विशेष कों समर्थन नहीं दिया ? बस उसी की सजा , तो ठीक है शाबाश मधु कोड़ा आज तक का राजनेतिक सफ़र जब अपने दम पर तय किया है तो ये समय भी निकल जायगा और झारखण्ड के लोग एक नए मधु कोड़ा कों देखेंगे । महा घोटाला हुआ मगर सारा मधु चतुर और चालाक लोग ले उड़े किसी भी परिवार मैं जब कोई सदस्य बदमाशी करता है तो हमेशा से परिवार का मुखिया बदनाम होता है यही मधु कोड़ा के साथ हुआ है ।
नॉएडाकाबहुचर्चितआरूषीतलवारह्त्याकाण्डएकबारफिरचर्चामेंहैमगरकिसीरहस्यपरसेपरदाउठानेकोलेकरनहीबल्किसीबीआईकीनकारात्मकभूमिकाकीवज़हसेदेशकीसर्वोच्चजांचएजेन्सीकायहरूपगलेनहीउतरताज़ाहिरहैकीसबसेनिष्पक्षमानेजानेवालीयहसंस्थासत्ताकेहाथकाखिलौनाबनचुकीहैजिसेसत्ताधारीदलजबचाहेबंदरकीतरहनचातेरहतेंहैं।कितनेआश्चर्येकीबातहैकीआरुशीहत्याकांडमैंशुरूसेहीकोताहीबरतीगयीऔरजबमामलाकेन्द्रीयजांचब्यूरोकोसौपागयाउसकेबादभीइसमेंकोईकमीनहीआयी।आजजबजांचपूरीहोचुकीहैतोयहबातसामनेआरहीहैकीउसके साथयौनदुर्व्याभारहुआकीनहीइसेजांचनेकेलिएउससमय प्रयोगशालाकोशरीरकेतरलपदार्थकाजोनमूनाभेजागयाथावोकिसीऔरमहिलाकाथा।आरुशीकेहत्यारोंकासीबीआईभीपतानहीलगापाईऔरअगरलगभीगयाकीऊसकीहत्याकिसनेकीथीतोसबूतकेआभावमेंसभीहत्यारोंकोराहतमिलजायेगी।अबलाखटकेकासवालयेहैकीइसजांचमेंसीबीआईसेचूकहुईहैयाजानबूझकरउसेअपनाकामकरनेसेरोकागयाहैकेओंकीयहइतनाकठिनऔरउलझाहुआकेसनहीथाकीसीबीआईजैसीजांचएजेन्सीकोहत्यारोंकापतालगानेमेंकोईकठिनाईहोती।मगरऐसाहुआनही।चिंताकाविषयहैकेओंकीसीबीआईकेअधिकारीइसबातकेलिएविशेषरूपसेप्रशिक्षितकिएजातेंहैंकीवोबिनाकिसीदवाबकेअपनाकामईमानादारीसेकरकेदोषिओंकोसजादिलवायेंगेचाहे वोकितनाभीप्रभावशालीवयक्तिकेओंनहो।मगरआजइसएजेन्सीकीपरिभाषाबदलचुकीहैअबउसीकोसजामिलेगीजोपॉवरमैंनहीहैपॉवरमैंरहनेवालोकाकोईकुछभीनहीबिगाड़सकता।कहनेकीज़रूरतनहीकीजांचएजेन्सीओकाकामसिर्फ़जांचतकहीसीमितनहीहोताजांचकरसबूतोंकेसाथअपराधीकोउसकेअंजामतकपहुंचानाभीहोताहैमगरयहाँतोजांचहीसहीढंगसेनहीहुईअपराधीअंजामतकक्याख़ाकपहुचेंगे।हमएकसमाजमैंरहतेंहैंजिसपरकानूनकानियंत्रणहोताहैऔरकानूनकीहुकूमततभीकायमरहसकतीहैजबअपराधिओंमेंउसकाखौफहोऔरलोगोकोउसपरभरोसा।खैरयेतोमामलेकाएकपहलूहैअबज़रादेखियेमीडियाकीभूमिकाकोमीडियाभूलगयीकीहमभारतीयसमाजमैंरहरहेंहैजहाँकिसीलड़कीकीइज्ज़तकोढंकाजाताहैउसेसरेआमनीलामनहीकियाजातामगरइलेक्ट्रॉनिकमीडियानेइसहत्याकांडकोसनसनीखेज़कथामेंतब्दीलकरदिया।ज़रासोचियेऔरअंदाजालगाईएतलवारदंपत्तिकोकितनीजिल्लतझेलनीपड़ीतिसपरभीउन्हेंइन्साफनहीमिला।एकघरएकलौतेबच्चेकेअसमयजानेसेकैसेटूटताहैइश्वरनकरेकीकिसीकोइसपीड़ाकोमहसूसकरनापडे।मगरआजआरुशीकीआत्माज़रूरइन्साफकेलिएतड़परहीहोगीऔरहंसरहीहोगीइसकानूनकापालनऔरइन्साफकेनामपरकिएजानेवालेढोंगकोदेखकर।क्याकरसकतेहैहमउसदेशमैंरहतेहैंजहाँकहनेकोतोलोकतंत्रहैमगरउपरसेनीचेतकगूंगोऔरबहरोंकीफौजबैठीहैजिनकीडोरकिसीऔरकेहाथमैंहै।सीबीआईकीहालतभीवहीहैअबवोजांचएजेन्सीनहोकरसत्ताधारीपार्टीकेहाथोकाखिलौनाबनबैठीहै। शायद यही कारण है की अब सी बी आई जांच की बात सुन कर बजाए खौफजदा होने के लोग बडे आराम से कह देतें हैं .....................अरे कोई ख़ास बात नही आराम से बच जायगा । आज आरुशी के लिए अफ़सोस हो रहा है और दिल मैं एक बात उठ रही है काश मीडिया और सी बी आई ने अपनी भूमिका सही ढंग से निभाई होती तो आरुषि को इन्साफ मिल गया होता । एक मीडिया पर्सन होने के नाते यह कहने मैं मुझे कोई संकोच नही की ........................हमेमाफ़करनाआरुषितलवार कहीहममेंकोईकमीरहगयी ।
निष्पक्षपत्रकारीता केइसमहासंग्रामकीशुरुआतमेरेपिताजीनेसन१९९०मेंकियाथा।पुलिसओरअपराधीगठजोड़केख़िलाफ़।मिथिलाबिहारीशुक्लाएकदरोगाहुआकरताथा।उसनेपुलिसकीवर्दीपहनीहीथीनाज़याज़कमाईकरनेऔरशरीफलोगोंकोपरेशानकरनेकेलिए।मीडियाकाउससमयजादूगोड़ामेंकोईप्रभावनहीथाऔर वैसेभीजादूगोड़ामुर्दोंकीबस्तीहै।उसनामाकुलदरोगाकाहरदुकानदारसेउसकीकमाईका३प्रतिशतकीरंगदारीबंधीहुईथीक्यामजालकीकोईकुछबोलदे हाज़त मेंबंदकरकेबहुतमारताथा।मेरेपिताजीसेभीहरामकीकमाईकरनाचाहापिताजीनेउसके फरमानकोठुकरादिया।बसशुरूहुआगुंडोंकेसाथपरेशानकरनेकासिलसिलाअतिहोगयीपिताजीकोलगाकीअबइसकेअत्याचारकाअंतकरनाचाहिए।बसउदितवाणीअखबारकेमध्याम सेउसकीकालीकरतूतोंकोप्रकाशमेंलानाशुरूकिया।६महीनेमेंजनाब कई बार लाइनहाज़िरहुआऔरफिर उसके अत्याचार से परेशान जादूगोड़ाकेडोरकासाईँगावों के लोगों ने उसकीबेटी पत्नी और भाई केसाथ शुक्ला की जम कर पिटाईकरदी।इसदारोगा को उसकीकरतूतोंकीसजातात्कालीनआईपीएसअधिकारीश्रीरविन्द्रकुमारनेदियावोउससमयजमशेदपुरकेएसपीथेमैंदिलसेउनकाधन्यवादकरताहूँवोजबतकजमशेदपुरमेंरहेगरीबोंकोपुलिससेडरनहीलगा।मेरेदुसरेपसंदीदाआईपी एसअधिकारीहैंश्रीपरवेज़हयातसाहबजिन्होनेजमशेदपुरकोअपराधमुक्तकरनेमेंअहम्भूमिकानिभायाहाँउनपरचंदस्वार्थीतत्वोंनेजातिवादकाआरोपलगायामगरमैंउसबातकोनहीमानताकेओंकीमैंजानताहूँकीअच्छेकामकरनेपरस्वार्थीतत्वोंकोतकलीफतोहोतीहीहैवोमेराखूबउत्साहबढातेथे।मुझेयादहैकीजादूगोड़ाथानाकाएकमुंशीजिसकानामएम्एम्आलमथाएकबारकिसीसे५०/-रुपयेकीरिश्वतमांगलियाथासंयोगसेहयातसाहबजादूगोड़ाएककार्यक्रममैंआएहुएथेउन्हेंपताचलाऔरउन्होनेख़ुदजांचकरतुंरतउसमुंशीकोलाइनहाज़िरकरदिया।पत्रकारोंनेभीउनकेकार्यकालमेंबहुतसम्मानपाया।वज़हउनकीनिष्पक्षकार्यशैलीरही , जिसकामैंकायलहूँऔरहरआदमीकोहोनाचाहिए।आजइनदोनोंअधिकारीओंनेअपनेकामकीबदौलतअपनीअलगपहचानबनाईहै।